FASTag खत्म: अब टोल पर नहीं लगेगा झटका, 1 मार्च 2025 से टोल टैक्स कटने का नया तरीका

भारत में हाईवे और एक्सप्रेसवे पर सफर करने वाले वाहन चालकों के लिए एक बड़ा बदलाव होने जा रहा है। सरकार ने टोल टैक्स वसूली के मौजूदा FASTag सिस्टम को खत्म करने का फैसला किया है। 1 मार्च 2025 से टोल प्लाजा पर एक नया सिस्टम लागू किया जाएगा, जिससे टोल टैक्स कटने की प्रक्रिया पूरी तरह बदल जाएगी। इस नए सिस्टम से वाहन चालकों को ज्यादा सुविधा मिलेगी और टोल प्लाजा पर लगने वाली लंबी कतारों से राहत मिलेगी। आइए जानते हैं कि यह नया सिस्टम क्या है, कैसे काम करेगा, और इससे आम जनता को क्या फायदे होंगे।

FASTag को क्यों किया जा रहा है खत्म?

FASTag सिस्टम को भारत में 2016 में शुरू किया गया था और 2021 से इसे अनिवार्य कर दिया गया। यह RFID (Radio Frequency Identification) तकनीक पर आधारित था, जिससे वाहन मालिक अपने प्रीपेड वॉलेट से टोल टैक्स का भुगतान कर सकते थे। हालांकि, समय के साथ इसमें कई दिक्कतें सामने आईं, जिनमें प्रमुख रूप से ये समस्याएं शामिल थीं:

  • तकनीकी गड़बड़ियां – कई बार FASTag ठीक से स्कैन नहीं होता था, जिससे टोल प्लाजा पर जाम लग जाता था।
  • बैलेन्स की समस्या – अगर वाहन मालिक का FASTag अकाउंट बैलेन्स कम होता था, तो उन्हें टोल प्लाजा पर रुकना पड़ता था।
  • डबल डिडक्शन – कई उपयोगकर्ताओं ने शिकायत की कि उनके अकाउंट से दो बार पैसे कट गए।
  • फ्रॉड और धोखाधड़ी – कुछ लोग फर्जी FASTag का इस्तेमाल करके टोल शुल्क से बचने की कोशिश करते थे।

इन्हीं समस्याओं को खत्म करने और टोल भुगतान को और आसान बनाने के लिए सरकार ने नया टोल सिस्टम लाने का फैसला किया है।

1 मार्च 2025 से कैसा होगा नया टोल सिस्टम?

1 मार्च 2025 से सरकार एक नया “ग्लोबल नेविगेशन सैटेलाइट सिस्टम (GNSS)” आधारित टोल सिस्टम लागू करने जा रही है। यह सिस्टम यूरोपीय देशों में पहले से ही इस्तेमाल हो रहा है और इसे बेहद प्रभावी माना जाता है। इस तकनीक के जरिए टोल शुल्क वाहन के लोकेशन और यात्रा की गई दूरी के आधार पर स्वतः ही कट जाएगा।

कैसे करेगा काम?

  1. जीपीएस आधारित ट्रैकिंग – नए सिस्टम में हर वाहन में एक खास GPS डिवाइस लगाई जाएगी, जो सरकार के सेंट्रल सर्वर से जुड़ी होगी।
  2. स्वचालित टोल कटौती – जैसे ही कोई वाहन टोल रोड पर प्रवेश करेगा, सिस्टम उसे ट्रैक करेगा और तय दूरी के अनुसार टोल शुल्क काट लिया जाएगा।
  3. कोई टोल प्लाजा नहीं – इस तकनीक के बाद हाईवे पर अलग-अलग टोल प्लाजा की जरूरत नहीं होगी, जिससे सफर में देरी नहीं होगी।
  4. सीधे बैंक खाते से भुगतान – यह सिस्टम वाहन मालिक के बैंक अकाउंट या ई-वॉलेट से सीधे टोल शुल्क काट लेगा।

नए टोल सिस्टम के फायदे

  1. यात्रा में कोई रुकावट नहीं – इस तकनीक के आने से टोल प्लाजा पर गाड़ियों की भीड़ नहीं लगेगी और सफर पहले से ज्यादा सुगम होगा।
  2. सटीक टोल शुल्क – FASTag में फिक्स्ड टोल चार्ज लिया जाता था, भले ही आप पूरी सड़क का उपयोग करें या नहीं। नए सिस्टम में जितनी दूरी तय होगी, उतना ही शुल्क कटेगा।
  3. फ्रॉड और चोरी खत्म – GPS आधारित सिस्टम में फर्जीवाड़ा करना मुश्किल होगा, जिससे सरकार को भी राजस्व का नुकसान नहीं होगा।
  4. कम प्रशासनिक खर्च – टोल प्लाजा पर कर्मचारियों की संख्या घटेगी, जिससे ऑपरेशन कॉस्ट में भी कटौती होगी।

नए टोल सिस्टम से किसे हो सकती है परेशानी?

हालांकि यह नया सिस्टम कई फायदे लेकर आ रहा है, लेकिन कुछ चुनौतियां भी हो सकती हैं:

  • GPS डिवाइस की अनिवार्यता – सभी वाहनों को GPS डिवाइस लगानी होगी, जिसका एक अतिरिक्त खर्च वाहन मालिकों को उठाना पड़ सकता है।
  • टेक्नोलॉजी एडॉप्शन – कई लोगों को नए सिस्टम को अपनाने में समय लग सकता है, खासकर वे जो तकनीकी रूप से कम जागरूक हैं।
  • नेटवर्क कनेक्टिविटी – कुछ ग्रामीण इलाकों में GPS सिग्नल की समस्या हो सकती है, जिससे सटीक ट्रैकिंग में परेशानी आ सकती है।

सरकार इन चुनौतियों से निपटने के लिए कई उपायों पर काम कर रही है, जिससे यह सिस्टम सफलतापूर्वक लागू हो सके।

कैसे मिलेगा नया GPS टोल डिवाइस?

सरकार ने संकेत दिया है कि नया GPS टोल डिवाइस वाहन खरीदते समय ही उसमें फिट किया जाएगा। वहीं पुराने वाहनों के लिए इसे आरटीओ ऑफिस, बैंक, पेट्रोल पंप और ऑनलाइन प्लेटफॉर्म के माध्यम से उपलब्ध कराया जाएगा। यह डिवाइस वाहन मालिकों को मुफ्त में भी दी जा सकती है, या मामूली शुल्क पर उपलब्ध होगी।

इसके अलावा, वाहन मालिक अपने बैंक अकाउंट, UPI या डिजिटल वॉलेट को इस सिस्टम से लिंक कर सकेंगे, ताकि टोल भुगतान स्वचालित रूप से हो सके।

क्या यह सिस्टम पूरी तरह से FASTag को रिप्लेस कर देगा?

जी हां, सरकार का उद्देश्य है कि 1 मार्च 2025 के बाद FASTag पूरी तरह बंद कर दिया जाए और सिर्फ GPS टोल कलेक्शन सिस्टम लागू किया जाए। हालांकि, कुछ समय के लिए दोनों सिस्टम साथ-साथ चल सकते हैं, ताकि वाहन मालिकों को नए सिस्टम को अपनाने में आसानी हो।

निष्कर्ष

1 मार्च 2025 से भारत में टोल भुगतान का तरीका पूरी तरह बदलने जा रहा है। GPS आधारित टोल सिस्टम से न सिर्फ सफर आसान होगा, बल्कि पारदर्शिता और सुविधा भी बढ़ेगी। वाहन मालिकों को अब FASTag की बैलेंस की चिंता नहीं करनी होगी और न ही टोल प्लाजा पर रुकने की जरूरत पड़ेगी।

सरकार इस नए सिस्टम को सफलतापूर्वक लागू करने के लिए तैयारी कर रही है और उम्मीद है कि यह भारतीय सड़क यात्रा को पहले से ज्यादा सुगम और सुविधाजनक बनाएगा। अब देखना यह होगा कि जनता इसे कितनी जल्दी अपनाती है और यह कितना प्रभावी साबित होता है।

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