Property Rights in India: क्या बेटा-बेटी दोनों को मिलेगी पिता की संपत्ति? जानें भारतीय संपत्ति कानून के नियम

क्या बेटा-बेटी दोनों को मिलेगी पिता की संपत्ति? जानें भारतीय संपत्ति कानून के नियम

भारत में संपत्ति से जुड़े कानून समय के साथ कई बदलावों से गुजरे हैं। पहले जहां बेटों को पिता की संपत्ति में प्राथमिक अधिकार दिया जाता था, वहीं अब बेटियों को भी बराबरी का हक दिया गया है। यह बदलाव हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम, 1956 (Hindu Succession Act, 1956) में किए गए संशोधनों के माध्यम से हुआ है।

अब सवाल यह उठता है कि क्या बेटा और बेटी दोनों को पिता की संपत्ति में समान अधिकार मिलेगा? इस लेख में हम इस विषय पर विस्तार से चर्चा करेंगे और भारतीय कानून के अनुसार बेटों और बेटियों के संपत्ति अधिकारों को समझेंगे।

1. हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम, 1956 क्या कहता है?

भारत में संपत्ति के उत्तराधिकार को लेकर हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम, 1956 (Hindu Succession Act, 1956) लागू किया गया था। इस कानून के तहत संपत्ति का बंटवारा पैतृक (Ancestral) और स्व-अर्जित (Self-Acquired) संपत्ति के आधार पर किया जाता है।

(A) पैतृक संपत्ति में अधिकार

पैतृक संपत्ति वह होती है जो चार पीढ़ियों तक बिना विभाजन के चली आ रही हो। इसे कॉपार्सनरी प्रॉपर्टी (Coparcenary Property) भी कहा जाता है, जिसका स्वामित्व कुल के सभी सदस्यों के पास होता है।

पहले:

  • 1956 के मूल कानून के अनुसार, केवल पुरुष सदस्य (बेटा, पोता, पड़पोता) ही इस संपत्ति के उत्तराधिकारी होते थे।
  • बेटियों को इस संपत्ति में कोई अधिकार नहीं था।

अब:

  • 2005 में एक बड़ा संशोधन किया गया, जिससे बेटियों को भी बेटे के समान अधिकार दिया गया।
  • अब बेटा और बेटी दोनों बराबर के हिस्सेदार होते हैं, चाहे बेटी विवाहित हो या अविवाहित।

(B) स्व-अर्जित संपत्ति में अधिकार

  • पिता की स्व-अर्जित संपत्ति (Self-Acquired Property) में उनके उत्तराधिकार का निर्णय उनकी वसीयत (Will) पर निर्भर करता है
  • अगर पिता ने कोई वसीयत नहीं बनाई, तो संपत्ति हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम, 1956 के अनुसार बेटे और बेटी दोनों में समान रूप से बांटी जाएगी
  • अगर पिता ने वसीयत बना रखी है और उसमें किसी विशेष व्यक्ति को संपत्ति देने का प्रावधान किया है, तो वह निर्णय ही अंतिम माना जाएगा।

2. बेटियों को समान अधिकार कब और कैसे मिला?

पहले, बेटियों को पैतृक संपत्ति में कोई अधिकार नहीं था, लेकिन 2005 के हिंदू उत्तराधिकार (संशोधन) अधिनियम (Hindu Succession Amendment Act, 2005) के तहत यह व्यवस्था बदली गई।

मुख्य बिंदु:

  • अब बेटियां भी कॉपार्सनर (Coparcener) बन गईं, यानी वे भी अपने पिता की पैतृक संपत्ति में बराबर की हिस्सेदार होंगी।
  • बेटी के विवाह का उसकी संपत्ति पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा। वह शादी के बाद भी अपने पिता की पैतृक संपत्ति में बराबर की हकदार रहेगी।
  • अगर पिता की मृत्यु 9 सितंबर 2005 के बाद हुई है, तो बेटियों को पैतृक संपत्ति में पूरा अधिकार मिलेगा
  • अगर पिता की मृत्यु 2005 से पहले हो गई थी, तो पुराने कानून के अनुसार संपत्ति का बंटवारा होगा।

3. मुस्लिम और ईसाई कानून में संपत्ति का नियम

भारत में संपत्ति से जुड़े कानून धर्म के आधार पर अलग-अलग हो सकते हैं।

(A) मुस्लिम उत्तराधिकार कानून

  • मुस्लिमों में उत्तराधिकार शरिया कानून के आधार पर तय होता है।
  • बेटे को बेटी से दोगुना हिस्सा मिलता है
  • अगर पिता की मृत्यु के बाद कोई वसीयत नहीं है, तो बेटा और बेटी के हिस्से का निर्धारण शरिया कानून के अनुसार किया जाता है।
  • मुस्लिम पर्सनल लॉ के तहत, पिता अपनी संपत्ति का केवल 1/3 भाग वसीयत द्वारा बांट सकता है, बाकी संपत्ति शरीयत कानून के अनुसार बंटती है।

(B) ईसाई और पारसी उत्तराधिकार कानून

  • ईसाइयों और पारसियों में बेटा और बेटी दोनों को समान अधिकार दिया गया है
  • अगर कोई वसीयत नहीं है, तो पिता की संपत्ति बेटा और बेटी में बराबर बांटी जाती है।

4. सुप्रीम कोर्ट के महत्वपूर्ण फैसले

सुप्रीम कोर्ट ने 11 अगस्त 2020 को एक ऐतिहासिक फैसला दिया, जिसमें कहा गया कि बेटियां भी जन्म से ही अपने पिता की पैतृक संपत्ति में बराबर की हिस्सेदार होंगी, भले ही पिता की मृत्यु 2005 से पहले हो गई हो

इस फैसले के महत्वपूर्ण बिंदु:

  • बेटियां जन्म से ही पिता की पैतृक संपत्ति की उत्तराधिकारी होती हैं
  • अगर पिता की मृत्यु 2005 से पहले हुई है, तो भी बेटी का हक रहेगा
  • बेटियों को अब अदालत में जाकर अपने अधिकार के लिए दावा करने की जरूरत नहीं होगी

5. वसीयत (Will) का क्या प्रभाव पड़ता है?

अगर पिता ने वसीयत बना रखी है, तो संपत्ति उसके अनुसार वितरित की जाएगी

  • अगर वसीयत में किसी एक संतान का नाम लिखा गया है, तो बाकी संतानों को संपत्ति में अधिकार नहीं मिलेगा।
  • अगर कोई वसीयत नहीं बनी है, तो हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम, 1956 के अनुसार संपत्ति का बंटवारा होगा।
  • मुस्लिमों में वसीयत का केवल 1/3 हिस्सा ही मान्य होता है

6. संपत्ति में बेटे और बेटी के अधिकारों की तुलना

पैरामीटर बेटा बेटी
पैतृक संपत्ति में अधिकार हां हां (2005 संशोधन के बाद)
स्व-अर्जित संपत्ति में अधिकार हां (अगर वसीयत नहीं बनी है) हां (अगर वसीयत नहीं बनी है)
विवाह के बाद अधिकार हां हां
मुस्लिम उत्तराधिकार हां (बेटी से दोगुना हिस्सा) हां (बेटे से आधा हिस्सा)
वसीयत का प्रभाव पिता की वसीयत के अनुसार पिता की वसीयत के अनुसार

7. निष्कर्ष

अब बेटा और बेटी दोनों पिता की संपत्ति में समान रूप से हकदार हैं2005 के हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम में संशोधन और 2020 के सुप्रीम कोर्ट के फैसले ने बेटियों को भी कॉपार्सनरी संपत्ति में बराबर का हक दिया है।

हालांकि, स्व-अर्जित संपत्ति का मालिक (पिता) अपनी वसीयत के अनुसार उसे किसी को भी दे सकता है। अगर कोई वसीयत नहीं बनाई गई है, तो हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम के अनुसार बेटा और बेटी दोनों समान रूप से संपत्ति के उत्तराधिकारी होंगे

इसलिए, अगर आप पिता की संपत्ति में अपना अधिकार जानना चाहते हैं, तो यह जरूरी है कि आप उत्तराधिकार कानून को अच्छी तरह से समझें और वसीयत की स्थिति को ध्यान में रखें

Leave a Comment